
Source: ਗੁਰਬਾਣੀ ਵਿੱਚ ਅੱਲਾਹ
असीं इह तां आख दिंदे हां के गुरमति उपदेस़ चारे वरणां नूं सांझा है। पूरी इनसानीअत लई है पर कदे विचारिआ के किवें? जदों धरम दी गल चलदी है हंकार विच आपणे आप नूं सब तों बिहतर दसण दी लड़ाई विच पै जांदे हां। गुरुआं दे उपदेस़ नूं पूरी मानवता विच पहुंचाण अते लोकां विच सुहिरद पैदा करन विच अज असीं पूरी तरह कामयाब नहीं होए। किउं? किउंके असीं आप पूरी तरह गल नहीं समझी हजे। इक मुसलमान वीर नूं गुरूआं नूं गालां कडदे सुणिआ, ग्रंथां नूं गालां कडदा सी। नीचे कमैंटां विच सिख वी बराबर गालां कड रहे सी। इक दूजे नूं वडण नूं उतारू। जे उस मुसलमान वीर नूं गुरबाणी विच दरज इह पंकतीआं दसदे के इह है साडे गुरूआं दी विचारधारा अते जिहड़े ग्रंथां नूं गालां कडदा हैं उही ग्रंथ अलाह बारे की आखदे हन तां झगड़ा स़ाइद मुक जाणा सी। पर जिस नूं आप नहीं पता उह दूजे नूं की दसू। धरम की है समझीए। गुरबाणी धरम बारे की आखदी है समझण लई वेखो "धरम। सो भाई गुरबाणी विच प्रेम दा जो संदेस़ है पहिलां आप समझीए फेर लोकां नूं वी दसीए। गुरबाणी दा अलाह बारे फुरमान है
अलाह पाकं पाक है सक करउ जे दूसर होइ॥ कबीर करमु करीम का उहु करै जानै सोइ॥
मिहर दइआ करि करनैहार॥ भगति बंदगी देहि सिरजणहार॥ कहु नानक गुरि खोए भरम॥ एको अलहु पारब्रहम॥
कारन करन करीम॥ सरब प्रतिपाल रहीम॥ अलह अलख अपार॥ खुदि खुदाइ वड बेसुमार॥( म ५, रागु रामकली, ८९६)
बाबा अलहु अगम अपारु॥ पाकी नाई पाक थाइ सचा परवदिगारु॥(म १, सिरी रागु, ५३)
अलाहु अलखु अगंमु कादरु करणहारु करीमु॥ सभ दुनी आवण जावणी मुकामु एकु रहीमु॥(म १, रागु सिरी, ६४)
भगति निराली अलाह दी जापै गुर वीचारि॥ नानक नामु हिरदै वसै भै भगती नामि सवारि॥(म ३, रागु आसा, ४३०)
वली निआमति बिरादरा दरबार मिलक खानाइ॥ जब अजराईलु बसतनी तब चि कारे बिदाइ॥३॥ हवाल मालूमु करदं पाक अलाह॥ बुगो नानक अरदासि पेसि दरवेस बंदाह॥(म ५, रागु रामकली, ७२३)
करीमां रहीमां अलाह तू गनंी॥ हाजरा हजूरि दरि पेसि तूं मनंी॥१॥ दरीआउ तू दिहंद तू बिसीआर तू धनी॥ देहि लेहि एकु तूं दिगर को नही॥२॥ तूं दानां तूं बीनां मै बीचारु किआ करी॥ नामे चे सुआमी बखसंद तूं हरी॥(भगत नामदेव जी, रागु तिलंग, ७२७)
कोई बोलै राम राम कोई खुदाइ॥ कोई सेवै गुसईआ कोई अलाहि॥१॥ कारण करण करीम॥ किरपा धारि रहीम॥१॥ रहाउ॥ कोई नावै तीरथि कोई हज जाइ॥ कोई करै पूजा कोई सिरु निवाइ॥२॥ कोई पड़ै बेद कोई कतेब॥ कोई ओढै नील कोई सुपेद॥३॥ कोई कहै तुरकु कोई कहै हिंदू॥ कोई बाछै भिसतु कोई सुरगिंदू॥४॥ कहु नानक जिनि हुकमु पछाता॥ प्रभ साहिब का तिनि भेदु जाता॥(म ५, रागु रामकली, ८८५)
सो पूरी इनसानीअत लई रुहानी संदेस़ है गुरबाणी। कोई वडा छोटा नहीं है। संसार विच विचरण वाले सारे जीवां विच परमेसर दी ही जोत है ते असीं सारे ही एक परमेस़र दे बणाए जीव हां। वैर विरोध खतम करन लई इह समझणा ते समझाउणा है।

Source: ਗੁਰਬਾਣੀ ਵਿੱਚ ਅੱਲਾਹ