Source: ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਸਦਾ ਸਦਾ ਨਾ ਆਵੈ ਨਾ ਜਾਇ
सतिगुरु मेरा सदा सदा ना आवै ना जाइ॥ओहु अबिनासी पुरखु है सभ महि रहिआ समाइ॥
हर इक मनुख दा आपणा सतिगुरु (अंतर आतमा) हुंदा है जिहड़ा ना कदी जंमदा है अते ना ही कदी मरदा। सतिगुरू उह है जो नास रहित है भाव अभिनासी है अते उह सारिआं विच समाइआ होइआ है।
सूही म:४
गुर की सेवा सबदु वीचारु