Source: ਰਬ ਦਿਖਾਈ ਕਿਉ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ

रब दिखाई किउ नहीं दिंदा

कुझ भुले भटके जीव ऐसी कुतरक करदे हन कि जिस नूं असी सारे रब रब करदे हां उह दिखाई किउ नहीं दिंदा

सो दिखाईं ता दुध विचो घिउ वी नहीं दिंदा पर दुध विच घिउ हुंदा है दिखाई लकड़ा विच अग वी नहीं दिंदी पर लकड़ा विच अग हुंदी है पर अग ते घिउ नूं परगट करन दी इक बिधी है इक प्रकिरिआ है जिस नाल इह दोवे तत परगट हुंदे हन

इसे तरां साडे सारे जीवां पस़ू पंछी रुख मनुख अंदर उस इक करते पुरख दा वास है बस उस करते पुरखु नूं जानण दी बिधी गुरबाणी विच दरज है जो कि गुरबाणी नूं खोज बुझके पता चलदी है

चारे कुंडा देखि अंदरु भालिआ।।

सचे पुरखि अलखि सिरजि निहालिआ।।

साहिबु मेरा सदा है दिसै सबदु कमाइ ॥

ओहु अउहाणी कदे नाहि ना आवै ना जाइ ॥

सदा सदा सो सेवीऐ जो सभ महि रहै समाइ ॥

अवरु दूजा किउ सेवीऐ जंमै तै मरि जाइ ॥

निहफलु तिन का जीविआ जि खसमु न जाणहि आपणा अवरी कउ चितु लाइ ॥ नानक एव न जापई करता केती देइ सजाइ ॥१॥


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