Source: ਗੁਰਮਤਿ ਅਨੁਸਾਰ ਸਾਹਿਬੁ ਕੌਣ?

गुरमति अनुसार साहिबु कौण?

साहिबु जो खिरदा नहीं। सिरफ इक नाल ही लग सकदा है, होर सब कुझ नास़वान है । असीं हर वसतू मगर साहिब ला दिंदे हां अगिआनता वस "रुमाला साहिब "पीड़ा साहिब

फिर अहिम सवाल इह बणदा की:
किहड़ी किहड़ी वसतू नाल साहिबु नहीं लग सकदा किहड़ी वसतू नाल लग सकदा।

साहिबु निताणिआ का ताणु ॥
आइ न जाई थिरु सदा गुर सबदी सचु जाणु ॥१॥ रहाउ ॥

आइ न जाई = उह ना जंमदा ना मरदा
थिरु = सदा काइम रहण वाला
सचु = परमातमा जो सदा काइम रहिंदा दा बाकी सब वसतुआं नास मान ने झूठ ने "जग रचना सब झूठ है
जाणु = जाण-पछाण पा, डूंगी सांझ बणा

“साहिबु मेरा नीत नवा सदा सदा दातारु”

“मन एको साहिबु भाई रे ॥”

“जेवडु साहिबु तेवड दाती दे दे करे रजाई ॥”

“देहु सजण असीसड़ीआ जिउ होवै साहिब सिउ मेलु ॥३॥”

मेरे सजण आतम राम मै तेरी स़रण आइआ हां तूं मेनूं आसीस दे के मेरा मेल सचे साहिब परमेसर नाल होवे

“तू सचा साहिबु सचु है सचु सचे भावै ॥”

“तू सचा साहिबु आपि है सचु साह हमारे ॥
सचु पूजी नामु द्रिड़ाइ प्रभ वणजारे थारे ॥
सचु सेवहि सचु वणंजि लैहि गुण कथह निरारे ॥
सेवक भाइ से जन मिले गुर सबदि सवारे ॥
तू सचा साहिबु अलखु है गुर सबदि लखारे ॥१४॥”


Source: ਗੁਰਮਤਿ ਅਨੁਸਾਰ ਸਾਹਿਬੁ ਕੌਣ?