Source: ਜਿਸੁ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪੁਨਾ ਕਿਰਪਾ ਕਰੈ
जिसु प्रभु अपुना किरपा करै ॥ सो सेवकु कहु किस ते डरै ॥ जैसा सा तैसा द्रिसटाइआ ॥ अपुने कारज महि आपि समाइआ ॥ ( पंना 281)
साडा सभ दा अपणा अपणा अंतर आतमा है. उही प्रभ है. जिसदा अपणा प्रभ किरपा करे. किसे होर दे प्रभ ने किरपा नहीं करनी. नां ही किसे संत जां गुरू ने किरपा करनी है. साडे अंदरले मूल ने किरपा करनी है. उह किरपा की है? मरन कबूल लवे किउंकि मरन मन नहीं कबूलदा. चित नूं कबूलणा पैणा है. हउं उसे नूं है. मरन कबूल करना ही तां मन मारना है. आपणा मन मार लिआ. काबू कर लिआ तां बस ओही है मरन कबूल करना..दुनीआं प्रती मुरदा ते सच प्रती जागरित. मन समरपण करना है मरन कबूलणा. इह प्रभ दा भाव साडे मूल दा कंम है. इह गल भगत कबीर जी ने सपस़ट करी है कि मरन कबूल के ही मुकत हुंदै सदजीवन मिलदै. मरदा कुझ नहीं. कहिंदे हुण किदां मरां मरना मंन लिआ. जवाब मिलिआ. मरि मरि जाते जिन रामु न जानिआ ॥. कहिंदे मरदे जंमदे तां उह ने जिनां मूल नहीं पछाणिआ. तूं पछाण लिऐ ते नहीं मर सकदा हुण. पर किरपा किउं कही कि प्रभ किरपा करे? किउंकि पहिलां मन ने मंनणै ते आगिआ िवच आउणै. भगतां ने मन काबू करिआ ते मरन कबूलिआ सी. मन जद मरज़ी छडदै तां प्रभ किरपा करदै. फेर किसे राजे तों वी नहीं डरदा. पता लग जांदै कि मरना है ही नहीं कोई. मरना संसारी बोली दा लफज़ है. गुरबाणी तां मरना मंनदी ही नहीं. जदों अंतर आतमा ने मरन कबूल कर लिआ फिर बुधी है सेवक..इह नहीं लिहाज़ करदी बोलण लगी. बिबेक बोलदै निरभै हो के. पतै कि मैं सरीर है नहीं. जे कोई कुझ विगाड़ सकदा वी होवे तां सरीर दा विगाड़ लऊ. पर मैं तां कुझ होर हां. अंतर आतमा साखिआत है तां अभै है.
जैसा सा तैसा द्रिसटाइआ ॥ अपुने कारज महि आपि समाइआ ॥
जैसा सा. हाकम ते हुकम देख लए. जनम मरन कीहदा हो रिहै ते किवें हो रिहै इह देख लिआ. हुकम बुझ लिआ. पता चल गिआ कि जंतां वस कुझ नहीं. हुण डरे किवें. काहदा डर रहि गिआ? जैसा सा तैसा द्रिस़टी विच आ गिआ. हुण सेवक किउं डरू किसे तों..उह तां होरां नूं वैसा दिखाऊ..वखिआन करू की सच की है. होरां तों किउं डरे जदों पतै कि जनम मरन, नफा नुकसान, जस अपजस सभ हुकम वस है..कोई कुझ नहीं कर सकदा. फेर डर रहिंदा ही नहीं. जदों आप देख लिआ किवें वरतदै हुकम. सुणी सुणाई गल रही नहीं सभ कुझ साखिआत है कि आपणे कारज विच हुकम आप समाइआ होइऐ. फेर हुकमी बंदे नूं डर भै नहीं रहिंदा. इही गल तां पंचम पातिस़ाह नूं तती तवी तक लै गई. प्रैकटीकली साबित कीता कि मैं आपणा असल आपा देख लिआ मैं सरीर है ही नहीं. अगे मुसलमान सी उह कहिंदे परखांगे. उन्हां ने परखिआ. सरीर दा अंत तां होणा ही है. पर साबित कर गए बचन कि जो किहै सच है. परमेस़र दा कारज है स्रिस़टी ते उह आप विच है. उह करा रिहै सभ कुझ. जिसनूं इह द्रिस़टमान है कि सभ परमेस़र दे हथ है उह नहीं डरदा..बाकी ऐवें आफरे फिरदे सन. पातिस़ाह ने जो किहै जाणदे होए किहै किउंकि राज मुसलमानां दा सी. पता सी हकूमत की करेगी. पर पिछे परमेस़र दा हथ सी. दसतार सिरा सी, दसत हुंदा हथ, सिरा तों भाव सिर, सिर ते हथ है हुकम दा ।
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