Source: ਦਰਸ਼ਣ ਅਤੇ ਧਿਆਨ ਲਾਉਣਾ

दरस़ण अते धिआन लाउणा

गुरमति = पहिलां दरस़ण

जोग मत = पहिलां धिआन लाउणा

गुरमति विच पहिलां दरस़ण है , उस तो बाअद धिआन है, अते जोग मत विच पहिलां धिआन है , पर इह नी पता जोग मति वालिआ नू कि धिआन किथे लाउणा ।

गुरमति गिआन मारग है , अते इस विस़े दी विसथार नाल विचार इस तरां है ,,,,

बिनु देखे उपजै नही आसा ॥जो दीसै सो होइ बिनासा ॥बरन सहित जो जापै नामु ॥सो जोगी केवल निहकामु॥ परचै रामु रवै जउ कोई ॥

पारसु परसै दुबिधा न होई ॥( 1167)

बिनु देखे उपजै नही आसा ॥

जिहड़ी चीज असी देखदे हां जां उस दा अनुभव करदे हां उसे दी इछा पैदा हुंदी है , जिस चीज दा सानू कदे खिआल वी नही आइआ उस नाल मन परच नही सकदा, आस जां भुख नही उठ सकदी उस दी साडे मन विच । माइआ दी भुख किउ है ? किउ कि माइआ दिखदी है बाहरलीआं अखां नाल, नामु( आतमगिआन) बुधी दा विस़ा है, निराकारी अख नाल दिखणा है , अते निराकारी अख भाव बुधी नू सूतक है अगिआन दा सूतक , इस करके नाम दी समझ नही , जदों समझ नही तां भुख वी नहीं हो सकदी,, धरम धारण करन दा कारण ही सूतक उतारना है ।इसे लई किहा है कबीर जी ने जहि गिआन तिह धरम है , धरम दा सबंध ही गिआन नाल है , सूतक उतारना है गिआन नाल , गुरमति दा मारग गिआन मारग है , जोगी पहिलां धिआन लाउदे ने, तांही पता नी लगिआ जोग मत नू कि धिआन लाउणा किथे है ।

नाम दा वजूद है जिसदा निराकारी अख नाल दरस़ण होणा , इसे नू किहा,,,,

दरसनि परसिऐ गुरू कै जनम मरण दुखु जाइ ॥

(1392) पोथी साहिब दा रुमाला चक के दरसण परसणा कही जांदे हन पखंडी ।

जदो तक सबद नाल, नाम नाल भाव हुकम दा सपरस़ हिरदे विच नही हुंदा उदो तक दरस़ण भाव समझ नही है , अते जदो समझ आवेगी तां होर किसे चीज दी भुख नही रहिणी , चाट लग जाउगी उस नाम दी प्रापती वासते ।

पहिलां जो राग ( फुरने, कलपना) उठदे सी उहना तों मन बेराग हो जावेगा ।बैरागी हो जावेगा । विआकुल हो जावेगा, जेकर विआकुल नही होइआ सच दा गिआन मिलण ते , इस दा मतलब गिआन होइआ ही नही,,

इहो जिहा परचा लगेगा मन नूं कि Surrender कर देवेगा गुरू अगे सभ कुझ , भुख लगेगी नाम दी , अते फेर धिआन गड के रखेगा उथे ही , साित संतोख दा ही धिआन धरेगा ,

सत संतोख का धरहु धिआन ॥कथनी कथीऐ ब्रहम गिआन ॥ ( 344)

भुख दा कारण भै वी हो सकदा , भै दे के वी भगती लाउदा है परमेसर , जिहदे ते आप दिआल हो जावे ।

बिनु देखे उपजै नही आसा ॥जो दीसै सो होइ बिनासा ॥ इह भेद अगली पंकती विच है जो उस विच सपस़ट हुंदा है कि गल इथे नाम दी कर रहे ने अते धिआन जोड़न दी हो रही है किउ कि जोग तों भाव है मन चित दा जोड़ जां धिआन,,,

बरन सहित जो जापै नामु ॥

सो जोगी केवल निहकामु ॥

जदों तक नाम दा पता नही लगदा , उदों तक जपदा नही , जाप वी नही करदा, जपु है समझणा, जप नाल समझ आउणी सपरस़ होणा है ,दरस़ण होणा है।

जिवें रेडिउ दे सिगनल दा रेडिउ नाल सपरस़ हुंदा है अते अवाज सुणदी है उसे तरां नाम दा भाव सबद दा वी हिरदे विच सपरस़ होणा है ।उस सपरस़ नाल उस अनंद दी भुख लगणी है , कि सदा लई इही अनंद रहे , फेर उस दी सदा वासते प्रापती लई हुकम विच सति संतोख विच धिआन लगाउदा है जीव।

भगत रविदास जी दे इस स़बद विच बरीकी इह है कि, जो नाम अते जपु पहिलां परचलत हन , जिवे इक कोई कालपनिक नाम , (Name ) रख के अते उस दे रटण नू नाम जपणा परचारिआ होिॲआ है, उस रटण वाले Name दा खंडण वी है , अते अज सिखां ने वी इही मंनिआ होिॲआ । इस पुठे राह पैण पिछे कारण है ,

गिआन हीणं अगिआन पूजा ॥ अंध वरतावा भउ दूजा ॥ ( 1412) जदों जोग मत वांग गिआन मारग छड के अखां बंद करके चौंकड़े मारके बैठणा, माला फेरनी है तां भाउ दूजा ही रहेगा ,, कोई प्रापती नही है ,,

गुरमति अनुसार जोगी कौण है जोगी हैप्रमाण है साडे कोल ,,

बरन सहित जो जापै नामु ॥ सो जोगी केवल निहकामु ॥ ( 1167)

हुण इथे जापै नाम किहा है , पहिलां जपणा भाव समझणा, अते जाप है समझिआ होिॲआ आप देखिआ जो, होरां नूं दसणा किवे जपणा है , स्री दसम गरंथ विच जाप है , दसिआ है उस विच ।

होर प्रमाण लै लैने आ गुरबाणी विचों विचों ,,

आपि जपहु अवरा नामु जपावहु॥ (289)

आप जपु के समझ के अगे परचारना है , इह हुकम है सानूं ।

सानू दरस़ण होणा किहदा है ? दरस़ण होणा आपणे मूल दा , कि धिआन किथों उठदा , फेर वी मन दे मंनण ते है , जे तां आतमसमरपण कर देवे तां परचा लग जावेगा सबद दा, नही तां जाणदा होिॲआ वी मन हरामी होके अंतर आतमा दी गल नही सुणदा, जे परचा लग जावे, फेर अगली पंकती च दसदे हन भगत रविदास जी ,,

परचै रामु रवै जउ कोई ॥ पारसु परसै दुबिधा न होई ॥ ( 1167)

भगत जी कहिंदे जे परचै , भाव परच जावे राम नाल , भाव मूल़ नाल , समां जावे अंदर मन आपणा मूल पछाण के, तां इक हो जांदा, दाल तों साबत हो जांदा, पारसु परस के दुबारा दुबिधा नी हुंदी , दाल नी हुंदी, " पारसु परसै दुबिधा न होई ॥

इह जोग है , जोड़ है ,अते इसे थां ते धिआन लाउणा है , इथे अवसथा सहिज सुंन के घाट वाली है , त्रिकुटी छड के दवार ते बैठ गिआ जाके,,

लेकिन दसम दवार नही खुलदा इथे, धिआन लावेगा इथे बैठके , अराधना करेगा ,,

इस सटेज विच माइआ वलो मन सुंन है अते चित करके सहिज है , इह है सहिज समाध , ॳपाधि रहित हो गिआ,,

हुण लगणी है इथे लिव भाव धिआन , इथे उही अवसथा हो जांदी है जिवें गरभ विच बचे दी हुंदी है , हुकम नाल लिव लगी हुंदी है, सरीर बणा रिहा हुंदा, हुण लिव लाउणी है निराकारी सरीर बणाउण लई,

सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥( 1106)

किउ कि पता लग गिआ इथे तक गिआन हो गिआ कि कारण की है मन टिकदा किउ नी, किथो बाहर जांदा, मन कलपना दा कारण की है, गिआन नाल पता चलेगा किवे कटी जावे कलपना, जिहड़े दरवाजे रांही मन बाहर जांदा किवे बंद कीता जावे , इह सभ जपु नाल भाव समझण नाल गिआन लैण नाल पता लगणा है ।

कबीर जी दसदे हन कि,,,

गुरि दिखलाई मोरी ॥जितु मिरग पड़त है चोरी॥

कहिंदे सतिगुर ने उह मोरी दिखाई है जिथो दी चोर मन बाहर भज जांदा सी , कलपना च फस जांदा सी ।

इस लई जो लोक सिधा ही धिआन लाउण नू कहिंदे हन, जोग मति वाले उहना नू कोई प्रापती नही, जोगी वी सरीर दीआं अवाजां ही सुण रहे सी , उसे च धिआन लगा रहे सी, गुरमति कहिंदी है ,,

धुनि महि धिआनु धिआन महि जानिआ गुरमुखि अकथ कहानी॥( 879)

धुन की है उस दा गिआन लए बिना धिआन किवे लग सकदा धुन विच? इसे करके धुन नू वी बाहरले कंना नाल सुणन वाली अवाज ( sound) समझ लिआ , लेकिन इह सहिज धुन है , अते अंदरले कंना नाल सुणनी है , बिनां कंना तों ,

इह वी कहि सकदे आं कि फुरनी है , नाम फुरदा है , इस दा प्रमाण है , गुरबाणी विच,,

सोई नामु अछलु भगतह भव तारणु अमरदास गुर कउ फुरिआ ॥

नाम फुरदा है , अते सुरत ने नाम विच हुकम विच समा जाणा है ।

कबीर जी वी दस रहे ने कि ,,

सहज सुंनि इकु बिरवा उपजिआ धरती जलहरु सोखिआ ॥

कहि कबीर हउ ता का सेवकु जिनि इहु बिरवा देखिआ ॥ (970)

सहिज अते सुंन दे विचालिउं कहिंदे बिरवा ( पौदा) उपजिआ जंमिआ है , भाव है कि नाम पदारथ मिल गिआ, जनम पदारथ मिल गिआ,

बीज सरूप विचो बीज नू पाड़ के उग पिआ, निराकारी जनम हो गिआ ,राम गरभ विचो बाहर हो गिआ, भवसागर तो बाहर निकल गिआ ।

गुरबाणी सानूं पैर पैर ते मारग दिखा रही है पंथ दिखा रही है, लेकिन जिहड़े जोगा अते जोगी बणे फिरदे ने धिआन मथे च लाके उहना दे पिछे जिआदा लगे हन सिख वी , उह लोक आप देख लैण कि सालां तो उहना नू की प्रापती होई है ।


Source: ਦਰਸ਼ਣ ਅਤੇ ਧਿਆਨ ਲਾਉਣਾ