Source: ਸਿੱਖੀ ਅਤੇ ਸਿੱਖਣ ਲਈ ਸਵਾਲ
सिख दा अरथ हुंदा सिखण वाला, गुरसिख दा अरथ गुर (गुणां) दी सिखिआ लैण वाला। गिआनी जो गुणां दी विचार करे गिआन प्रापत कर लवे ते लोकां नूं गुणां बारे दस सके "गुण वीचारे गिआनी सोइ॥ गुण महि गिआनु परापति होइ॥ गुणदाता विरला संसारि॥ साची करणी गुर वीचारि॥। सिख दा सवाल पुछणा गुरमति दी सिखिआ लैणा गुरमति बारे सवाल पुछणा बहुत जरूरी है। नीचे कुझ सवाल हन, उदाहरण हन जिहनां दे जवाब सानूं लबणे हन।
इह सवाल वी गुरबाणी विच हन अते जवाब वी गुरबाणी विच हन, जेकर इह पड़्ह के वी साडे अंदर सवाल नही उठिआ , कि असीं तां इह सभ सच मंन रहे आं, गुरबाणी किउं सुपना अते झूठ कहि रही है, तां मतलब असीं सुते पए पड़्ही जानें आ, जां फिर इमानदारी नही साडे विच,,,,,
जन नानक बिनु आपा चीनै मिटै न भ्रम की काई ॥
( पंना 684)
4.गुरबाणी कहिंदी है कले पड़्हन नाल नही कोई लाभ , पड़्ह के खोज के बुझणा है, जो तत है इस विच,,, फिर तां गिणती करके कीते पाठां दा वी लाभ नही,, गुरबाणी कहि रही है देखो अगे प्रमाण ,,,
केते कहहि वखाण कहि कहि जावणा ॥ वेद कहहि वखिआण अंतु न पावणा ॥ पड़िऐ नाही भेदु बुझिऐ पावणा ॥
(पंना 148)
गुरबाणी कहिंदी इहना अखरां विचों खोज के बुझणा है,,,,,
एना अखरा महि जो गुरमुखि बूझै तिसु सिरि लेखु न होई ॥
( पंना 432)
इह जो सवाल हन , जिथे वी कथावाचक कथा करदे हन , उथे आपणी मरजी दी कथा करनी छड के संगत नूं इहना सवालां दे जवाब देण परचारक अते गिआनी,, अते संगत वी इह सवाल करे, इस तरां विचारां नाल गिआन वधेगा। होर मतां दे परचारक वी अज कल इसे तरां परचार कर रहे हन, संगत विच माईक दे दिंदे हन, संगत सवाल करदी है परचारकां नूं ।
इस आतम गिआन दी भुख लगण ते ही मन रागी तों बैरागी हुंदा है, उदास हुंदा है संसार तो, अते अगे जाके बैरागी तों अनुरागी हुंदा है,,,,इथों असल सफर स़ुरू हुंदा है गुरसिख दा,, जेकर इहदे बारे नही विचार रहे असीं तां गुरमति मारग उते सफर स़ुरू ही नही कीता ।
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