Source: ਬੇਣੀ ਕਉ ਗੁਰਿ ਕੀਓ ਪ੍ਰਗਾਸੁ
बेणी कउ गुरि कीओ प्रगासु ॥ बसंतु मः ५, पंना ११९२
भगत बेणी जी दे अंतर-अतामे गुरप्रसादि सदका गुरमति दा चानण होइआ सी।
बेणी कहै सुनहु रे भगतहु मरन मुकति किनि पाई ॥५॥ स्रीराग बाणी भगत बेणी जीउ की ॥: पंना ९३
भगत बेणी जी गुरमति दे नेम अनुसार जिउंदे जी मुकती प्रापत कर गए।
इड़ा पिंगुला अउर सुखमना तीनि बसहि इक ठाई ॥ बेणी संगमु तह पिरागु मनु मजनु करे तिथाई ॥१॥ रामकली बाणी बेणी जीउ की: पंना ९७४
भगत बेणी जी गुरमति अनुसार निराकारी इड़ा (मन) पिंगुला (चित) अते सुखमनां (बुधी) दा ज़िकर कर रहे है।
जिनि आतम ततु न चीन॑िआ ॥ सभ फोकट धरम अबीनिआ ॥ कहु बेणी गुरमुखि धिआवै ॥ बिनु सतिगुर बाट न पावै ॥५॥१॥ प्रभाती भगत बेणी जी : पंना १३५१
गुरमति अनुसार आतम चिंतन ही असल धरम है। भगत बेणी जी इह नेम द्रड़ि करवा रहे हन।
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