Source: ਸਬਦੁ ਬੀਚਾਰੁ ਅਤੇ ਗੁਰਬਾਣੀ ਬੂਜਣ ਤੇ ਵਿਚਾਰਣ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਹੈ

सबदु बीचारु अते गुरबाणी बूजण ते विचारण दा विस़ा है

सभसै ऊपरि गुर सबदु बीचारु ॥
सो उबरै गुर सबदु बीचारै ॥२॥
गुर की सेवा सबदु वीचारु ॥
गुर का सबदु सहजि वीचारु ॥
गुण वीचारे गिआनी सोइ ॥
गुण वीचारी गुण संग्रहा अवगुण कढा धोइ ॥

अज सानूं नितनेम दा चा है। कीरतन दा चा है । अखां बंद कर के धिआन लाण दा चा है । इक सबद नूं जाप / जप कहि के बार बार बोलन दा चा है पर असीं सबद विचार तो किउं दूर भजदे हां ?

करि किरपा राखहु रखवाले ॥ बिनु बूझे पसू भए बेताले ॥६॥
आवन आए स्रिसटि महि बिनु बूझे पसु ढोर ॥
खखा खोजि परै जउ कोई ॥ जो खोजै सो बहुरि न होई ॥ खोज बूझि जउ करै बीचारा ॥ तउ भवजल तरत न लावै बारा ॥४०॥

पड़हि मनमुख परु बिधि नही जाना ॥ नामु न बूझहि भरमि भुलाना ॥
पड़िऐ नाही भेदु बुझिऐ पावणा ॥


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