Source: ਮੁਕਤੀ ਮਰ ਕੇ ਮਿਲਣੀ ?
बेणी कहै सुनहु रे भगतहु मरन मुकति किनि पाई ॥५॥
गुर परसादी जीवतु मरै ॥
आपु छोडि जीवत मरै गुर कै सबदि वीचार ॥
जीवत मरै बुझै प्रभु सोइ ॥
म ३ ॥इहु जगतु जीवतु मरै जा इस नो सोझी होइ ॥ जा तिनि्ह सवालिआ तां सवि रहिआ जगाए तां सुधि होइ ॥नानक नदरि करे जे आपणी सतिगुरु मेलै सोइ ॥गुर प्रसादि जीवतु मरै ता फिरि मरणु न होइ ॥२॥
कई सोचदे मुकती मर के मिलणी । साहिब कहिंदे जीवत मरणा पैणा मै छडणी पैणी मुकती जींदिआं मिलनी
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