Source: ਅਨਦੁ ਕਰਹੁ ਮਿਲਿ ਸੁੰਦਰ ਨਾਰੀ
अनदु करहु मिलि सुंदर नारी ॥
आसा ॥
पहिली करूपि कुजाति कुलखनी साहुरै पेईऐ बुरी ॥ अब की सरूपि सुजानि सुलखनी सहजे उदरि धरी ॥१॥ भली सरी मुई मेरी पहिली बरी ॥ जुगु जुगु जीवउ मेरी अब की धरी ॥
ऐसा गिआनु कथै बनवारी ॥ मन रे पवन द्रिड़ सुखमन नारी ॥१॥ रहाउ ॥
"पहिली करूपि कुजाति कुलखनी मोह माया विच फसी होई मन दे मगर भजदी बुध । सुंदर नारी बिबेक बुध जिसनूं हरि दा गिआन हो गिआ जिसने मन नूं टका के आतम राम दी स़रण लैके आणा है । फेर "जे इकु होइ त उगवै रुती हू रुति होइ ॥
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