Source: ਸਤ੍ਰ ਅਨੇਕ ਚਲਾਵਤ ਘਾਵ ਤਊ ਤਨ ਏਕੁ ਨ ਲਾਗਨ ਪਾਵੈ

सत्र अनेक चलावत घाव तऊ तन एकु न लागन पावै

सत अनेक चलावसत्र अनेक चलावत घाव तऊ तन एकु न लागन पावै ॥ अकाल उसतति, स्री दसम ग्रंथ

गुरमुखि दी अवसथा – विकार स़तरू ने विकार वार करदे ने..घाव करदे ने..पर जे हुकम दी सरन है तां नहीं लगदा इक वी घाव ।

भगत दी अवसथा – चाहे बाहरला वी स़तरू है; कोई कुझ नहीं कर सकदा । दसम पातिसाह कहिंदे ने मैं जिसदी सरन हां। उह मेरे पिछे खड़ा है जंग दे मैदान विच वी । तिंन वार कीते सन पर वाल वी विंगा नहीं होइआἦ

खालसे दी अवसथा – जनम मरन परमेसर दे हथ है सभ । जद उह चाहेगा मारना फिर कोई बचा वी नहीं सकदा । भगत हुकम विच हुंदे ने ते विकरां दी मार तों बचे रहिंदे ने

No photo description available.


Source: ਸਤ੍ਰ ਅਨੇਕ ਚਲਾਵਤ ਘਾਵ ਤਊ ਤਨ ਏਕੁ ਨ ਲਾਗਨ ਪਾਵੈ