Source: ਗੁਰਮਤਿ ਅਤੇ ਰਹਤ

गुरमति अते रहत

रहत, रहत, रहि जाहि बिकारा ॥
गुर पूरे कै, सबदि अपारा ॥ पंना 1259


࠰࠹ࠤ ࠰࠹ࠤ ࠰࠹࠿ ࠜ࠾࠹࠿ ࠬ࠿ࠕ࠾࠰࠾ ॥ ࠗࡁ࠰ ࠪࡂ࠰ࡇ ࠕࡈ ࠸ࠬࠦ࠿ ࠅࠪ࠾࠰࠾ ॥

Your evil ways shall slowly be blotted out, by continuing to live in Inner Peace. Through continuous comprehension of Gur-Shabad, the Incomparable Word of the Perfect Gurbani.

रहत ((संगया)) = आतमिक रहणी (Inner Peace, Spiritual Growth )
रहत (क्रिया) = रहिंदे होए (To continue to do)

मरियादा (संगया) = नियमां दी पाबंदी (Conventional Rules)


गुरमति विच दरसाई आतमिक रहित विच लगातार रहिण नाल, पूरे गुर (गुरबाणी) दे स़बद विचार विच जुड़िआं बेअंत विकार सहजे सहजे दूर हो जांदे हन। समुची गुरबाणी अंदर ‘रहत’ स़बद ४७ बारी दरज़ होइआ मिलदा है। पर मरियादा स़बद दरज़ होइआ नहीं मिलदा। गुरमति आतमिक रहत दी प्रोड़ता करदी है। मरियादा (rules ) फौज लई हुंदी है discipline लई । खालसा बंधन मुकत है किउंकी "पूरन जोति जगै घट मै तब खालस ताहि न खालस जानै ॥१॥ जदों पूरन जोत है तां गुरबाणी ने बंधन मुकत कर दिता है "बंधन काटि करे मनु निरमलु पूरन पुरखु बिधाता


Source: ਗੁਰਮਤਿ ਅਤੇ ਰਹਤ