Source: ਸਬਦੁ ਗੁਰੂ ਦੀ ਸਰਲ ਵਿਆਖਿਆ

सबदु गुरू दी सरल विआखिआ

पि्रथम अकाल गुरू कीआ जिहको कबै नही नास ॥
जत्र तत्र दिसा विसा जिह ठउर सरब निवास ॥
अंड जेरज सेत उतभुज कीन जास पसार ॥
ताहि जान गुरू कीयो मुनि सति दत सुधार ॥११६॥

गुरू उह है जो सरब नूं गिआन दे रिहा, सदा मारग दरशन करा रिहा. गुरू तों कोई गल गुपत नहीं, उह हर जगाह हर घड़ी मौजूद है. ओसे गुरू ने सारीआं खाणीआं पैदा कीतीआं ते फिर ओहना दी परवरिश वी कर रिहा. उह गुरू परमेस्वर है


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