Source: ਸੋ ਜਾਗੈ ਜੋ ਤਤੁ ਬੀਚਾਰੈ
सो जागै जो ततु बीचारै॥
गुरबाणी जागण दी ग़ल कर रही ए तत बिचार कि हुण एथे तत बिचार की ए ? तत बिचार अपने मूल जोति ( आतमा ) बारे जानण दी ग़ल जो सानू गुरबाणी च अख़री रूप दे दसी होइ ए तत बिचार,,,,,
आपि मरै अवरा नह मारै॥
आपि मरे तौ भाव ? जिओदे जीअ ( मरै ) मुकति हो कि संसारी मन दीआ लोभक इछावा तौ जिहनां दा सानू नेह ( लगाउ ) आपणे सरीरक सुख दीआ कलपनावा नू मार कि जे कोइ जाग जावे ,,,
सो जागै जो एको जाणै॥
ओस पारब्रहम एको नू जाण कि जागणा ए जो जीव सुता पिआ संसार नू सच मंनी बैठा पर गुरबाणी एस नू सुपना केहि रहि ए जो जीव अपने मूल नू पछाण कि
परकिरति छोडै ततु पछाणै॥
एस जड़ परकिरती नू छड कि ओस परम तत (आतमा ) नू पछाण लवे कोइ विआकती पंडित दे बणाए होइ चहु वरना चो कोइ वी होवे
चहु वरना विचि जागै कोई॥ जमै कालै ते छूटे सोइ॥SGGS 1128.
संसारी पंडित दे बणाए होइ वरन वंड विचि कोइ विआकती जाग जावे आतमिक गिआन ले कि ता जमै काल तौ छुटकारा पा सकदा ओह गुरमुखि एस संसार चो,,,,,,,
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