Source: ਆਤਮਾ, ਪਰਮਾਤਮਾ ਅਤੇ ਗੁਰਮਤਿ (ਆਤਮ ਅਤੇ ਪਰਮੇਸਰੁ)

आतमा, परमातमा अते गुरमति (आतम अते परमेसरु)

किसे वी भास़ा विच स़बद किवें घड़े जांदे ने, नवें स़बद किवे जोड़े जांदे ने? इस पिछे भास़ा विगिआन, विआकरण अते सूझ बूझ हूंदी है। जिवें अदब अगे बे लगा दो तां बेअदब हो जांदा है। नाम अगे बद लगा देवो बदनाम स़बद बण जांदा है। जदों सानूं मूल सिधांत दा पता लग जावे तां गुरबाणी विछ वरते स़बदां ते गुरमति विआकरण दा पता लगदा है। गुरमति विआकरण अज दी पंजाबी भास़ा विच वरती जांदी विआकरण तो भिंन है। पूरॳि आदि बाणी विच अदक () दी वरतो नहीं होई। इस कारण किथे अखर ते किथे अखर (ना खरन वाला) वरतिआ इसदा सौखा पता नहीं लगदा। इसे तरह कई स़बद हन जिहनां बारे गुरमति विआकरण दा पता होवे तां ही सोझी पैंदी है। गुरबाणी विच परमेसर दे अकाल दे कई नाम दसे हन जो उस समे प्रचलित सन। अलाह वी कहिआ "अलाह पाकं पाक है सक करउ जे दूसर होइ॥। सोचण वाली गल है के परमेसर नूं, अकाल नूं किते वी परमातमा नहीं आखिआ। परमातम परआतम वरतिआ पर परमातमा नहीं आखिआ। अज वी आतम, आतमा, परमातम परमातमा कई स़बद हन जिहड़े वरते जांदे ने पर बहुत घट हन जिहनां नूं इहनां दे अरथां नूं समझण दी तांघ है। इवें ही ब्रहमा, ब्रहम, पूरनब्रहम अते पारब्रहम वरते गए ने गुरबाणी विच। जिहनां नूं अरथां दी समझ नहीं विआकरण अते भास़ा विगिआन दी समझ नहीं उह इहनां सारिआ दी वरतो अकाल लई ही करदे हन। असीं पिउ दे पिउ नूं पिउ नहीं दादा आखदे हां पर जदों गुरमति दी गल हुंदी असीं खिचड़ी बणा दिंदे हां अरथां दी।

गुरमति अनुसार:

आतमा दा अरथ है हनेरा, भरम. अगिआनता

अगिआनतां मन विच है, गुरमति अनुसार:
आतमा = मन ( मन मलीन है जिसनूं गुरमत नाल साफ करना है, इसनू तमा/तमो रोग लगिआ)
आतम = मूल ( नामु न जपहि ते आतम घाती )
परम + आतम = १= पूरन ब्रहम
आतम + तमा (तमो गुणी) = आतमा फिर परम + आतमा नहीं,

फिर परम + आतमा = परमातमा दा अरथ बनेगा: महां अगिआनता महां भरमी घुप हनेरा आदि । फिर परमेसर जी महां अगिआनी होए?
पर गुरमति अनुसार ओह तां महां गिआनी परम गिआनी हन। भरम मुकत हन

ताहीउं परमातमा सबद गुरमति विच सथान नहीं पा सकिआ।

दूजै भाइ अगिआनी पूजदे दरगह मिलै सजाइ॥ आतम देउ पूजीऐ बिनु सतिगुर बूझ न पाइ॥

Note: The word Atma (आतमा) as per Gurmat or Veds is an indicative of ignorance or darkness. Hence the word "Parmatma (परमातमा) will indicate extreme ignorance.

Hence you will never find the usage of word Parmatma (परमातमा) in Gurmat or Veds.

This word comes from the Vedanta Philosophy and is widely used in Upanishads who became known to larger population than Veds.

परमेसर अते परमातमा दा अंतर।

गुरमति दा वडमुला
धिआन देण योग नेम।

(पउड़ी २५)
वडा दाता = परमेसर
तिलु न तमाइ = तमा या तामो गुण (अवगुण) तों रहित।

मगुन पंथु (पउड़ी १४)

ओन्हां सिखा दी मति मारी गई है
जो इस परमेसर रूप सकती नूं
परमातमा (तमा भरपूर दसदे)

हरि आतम रामु पसारिआ सुआमी सरब रहिआ भरपूरे ॥
हरि
जो! कि आतम राम है।
ओह ही Root (मूल) है।

पंच भू आतमा वसि करहि ता तीरथ करहि निवासु ॥२॥

दूजै भाइ दुसटु आतमा ओहु तेरी सरकार॥

आतमा द्रवै रहै लिव लाइ॥ आतमा परातमा एको करै॥ अंतर की दुबिधा अंतरि मरै॥१॥

आतमा रामु न पूजनी दूजै किउ सुखु होइ ॥

आतमा उस दी branch(साखा) है।
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रामु अते रामा विच वी फ़रक है
कबीर अते कबीरा विच वी फरक है

इह गुरमुखी गुरमत दी विआकरण है जो अलोप हो रही है । इसनूं पड़न, समझण, विचारण अते परचारन दी लोड़ है ।

एक अते इक विच दा अंतर ἓ Basics of Gurbani


Source: ਆਤਮਾ, ਪਰਮਾਤਮਾ ਅਤੇ ਗੁਰਮਤਿ (ਆਤਮ ਅਤੇ ਪਰਮੇਸਰੁ)