Source: ਸਤਿਨਾਮ ਜੋ ਪੁਰਖ ਪਛਾਨੈ

सतिनाम जो पुरख पछानै

सतिनाम जो पुरख पछानै ॥ सतिनाम लै बचन प्रमानै ॥

सतिनामु मारग लै चलही ॥ ता को काल न कबहूं दलही ॥२३॥ 

सतिनाम तेरा परा पूरथला । पंना १०८३

परा पूरबला =स़िस़टी तों पहिलां
मूलु सति, सति उतपति॥ पंना २८४
मन दी उतपती सति सरूपी मूल चों होई है।

जपि मन सतिनामु सदा सतिनामु ॥
जे मन आपणे सति सरूपी मूल नूं जप (जाण) लवे पंना ६७०
फिर इह आपणी परा पुरबला वाली अवसथा विच आ जांदा है।

सतिनामु प्रभ का सुखदाई ॥ पंना २८४
जीव दे मूल, निराकारी प्रभ दा आतम
गिआन सतिनाम सदा सुखदाई है।

सति सति हरि सति सति सते सति भणीऐ ॥
दूसर आन न अवरु पुरखु पऊरातनु सुणीऐ ॥
सति =निरगुन
नाम = सरगुन / हुकम 
कहै रविदासु नामु तेरो आरती सतिनामु है हरि भोग तुहारे ॥ पंना ६९४
गुरबाणी अंदर सतिनामु स़बद दी वरतों सभ तों पहिलां भगत रविदास जी दुआरा होई है।


Source: ਸਤਿਨਾਮ ਜੋ ਪੁਰਖ ਪਛਾਨੈ