Source: ਦੁੱਖ ਅਤੇ ਭੁੱਖ
जे दुख तो डर लगदा
जे सुखु देहि त तुझहि अराधी दुखि भी तुझै धिआई ॥२॥
जे भुख देहि त इत ही राजा दुख विचि सूख मनाई ॥३॥
तनु मनु काटि काटि सभु अरपी विचि अगनी आपु जलाई ॥४॥
पखा फेरी पाणी ढोवा जो देवहि सो खाई ॥५॥
To be continued…
Source: ਦੁੱਖ ਅਤੇ ਭੁੱਖ