Source: ਜਦੋ ਮਨ ਆਪਣੇ ਮੂਲ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ
इह गल सही है कि जदो मन आपणे मूल विच मिलदा है । उदों बाहरों किसे नूं पता नहीं लगदा । पर जदों मिलदा है तां छुपिआ वी नहीं रहिंदा किउंकि गुरबाणी कहिंदी है
हरि सिमरनु करि भगत प्रगटाए ॥
जे कोई भगत है तां उह परगट हो के रहेगा। जे भगतां ने कुछ छपाइआ हुंदा तां साडे कोल गुरबाणी किवें पहुंचदी। भगतां ने बोल के लिख के संसार लई गिआन प्रगट कीता है।
कबीरि दीई संसार कउ लीनी जिसु मसतकि भागु ॥ उहनां नूं बोलणा ही पैंदा है किउंकि कबीर जी कहि रहे हन
संता मानउ दूता डानउ इह कुटवारी मेरी ॥
तगत नूं परमेस़ुर दे कोतवाल वजों duty देणी पैंदी है। जो उस दे रंग विच रंगिआ हूंदा उही प्रगट होके जूझदा आ।
दागे होहि सु रन महि जूझहि बिनु दागे भगि जाई ॥
रही गल छपोण दी किथों आई तां इह नकली संतां , पंडतां ने प्रचारी है तांकि कोई गुरमति दा सवाल ना पूछ लवे ते उहनां कोल दसण लई कुछ है नहीं। फिर की करदे इही कहिंदे कि सभ ने छुपाइआ है ताकी आप बच सकण। गुरबाणी किसे झूठे नूं नहीं बकस़ दी ।
कांइ रे बकबादु लाइओ ॥
जिनि हरि पाइओ तिनहि छपाइओ ॥१॥ रहाउ ॥
पंडितु होइ कै बेदु बखानै ॥
मूरखु नामदेउ रामहि जानै ॥२॥१॥
नामदेव पंडित नूं कहि रहे हन कि इह झूठी बकवास किउं लाई है कि जिन्हे पाइआ उहने छुपाइआ। वेख मैं राम नूं जाण लिआ है ।
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