Source: ਸਤਿਗੁਰੁ

सतिगुरु

सतिगुरु मेरा सदा सदा ना आवै न जाइ ॥
ओहु अबिनासी पुरखु है सभ महि रहिआ समाइ ॥१३॥

सतिगुरु हमेस़ा है ना उह पैदा हुंदा है ना मरदा है जिसदा कदी नास नही हो सकदा ते उह हर घट विच है

नानक गुरू गुरू है सतिगुरु मै सतिगुरु सरनि मिलावैगो ॥८॥४॥

Guru Raam Daas Ji in Raag Kaanraa – 1310

नानक, गुरू, गुरू है सतिगुरु मै सतिगुरु, सरनि मिलावैगो
गुरमति अनुसार जीव ने किस प्रकार स़बद गुरू विच समाउणा है ।

मै सतिगुरु सरनि मिलावैगो।।

मै = मेरा मन
सतिगुर = मेरा सतिगुर
मिलावैगो = मै + सतिगुर = १ = पूरनब्रहम

भजहु गोबिंद भूलि मत जाहु ॥ मानस जनम का एही लाहु ॥१॥ रहाउ ॥
इह ऊपरोकत अवसथा मानस जनम (जूनी) विच घटदी है ।

नानक, गुरू, गुरू है सतिगुरु मै सतिगुरु,
नानक = गुरबाणी लिखण वाले सतिगुरु
गुरू = मेरा गुरू कोण है ?
गुरू है सतिगुरु = पूरनब्रहम (सतिगुर) जूनी तों पारब्रहम (गुरू) अजीनी अवसथा दी प्रापती वाला ।
जे इकु होइ त उगवै : जो जीव इज हो कि उग पइआ है ?
सतिगुर : मानुख जूनी विच (महला: १-१०)
गुरू: अजूनी (हुकम, पारब्रहम, परमिसर, प्रभू)


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