Source: ਬਿਖਿਆ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਏਕੁ ਹੈ ਬੂਝੈ ਪੁਰਖੁ ਸੁਜਾਣੁ (Amrit)

बिखिआ अंम्रित एकु है बूझै पुरखु सुजाणु (Amrit)

गुर नानक पातस़ाह – अंग ९३७ राग रामकली

"बिखिआ अंम्रित एकु है बूझै पुरखु सुजाणु ॥४८॥

खिमा विहूणे खपि गए खूहणि लख असंख ॥

गणत न आवै किउ गणी खपि खपि मुए बिसंख ॥

खसमु पछाणै आपणा खूलै बंधु न पाइ ॥

सबदि महली खरा तू खिमा सचु सुख भाइ ॥

खरचु खरा धनु धिआनु तू आपे वसहि सरीरि ॥

मनि तनि मुखि जापै सदा गुण अंतरि मनि धीर ॥ हउमै खपै खपाइसी बीजउ वथु विकारु ॥

किते अंम्रित नूं बिखिआ ना मन लैणा । मेरे वरगा मूरख ही होवेगा । सारी रात सोचिआ ता परमेसर ने उजागर किता की

"अंम्रित सदा वरसदा बूझनि बूझणहार ॥गुरमुखि जिन्ही बुझिआ हरि अंम्रित रखिआ उरि धारि ॥हरि अंम्रित पीवहि सदा रंगि राते हउमै ति्रसना मारि ॥अंम्रित हरि का नामु है वरसै किरपा धारि ॥ नानक गुरमुखि नदरी आइआ हरि आतम रामु मुरारि ॥२॥

इसदा अरथ है अंम्रित ता केवल हर दा नाम है उसदा हुकम है जे उसदी सोहेली नदर तेरे ते होवेगी उसे तरां जे उसदी नदर उसदा रहिमत तेरे ते होवेगी तां बिखिआ मिलणी नही तां तेनूं किसे ने बिखिआ वी नहीं देणी । जिवें परमेस़र दा फुरमान है "पंडितु पड़ै बंधन मोह बाधा नह बूझै बिखिआ पिआरि ॥ जे परमेस़र तों बिखिआ विच कुज मंगणा है ता उसदे हुकम विच खुस़ रहण दी कला नूं मंगणा है "अंम्रित छोडि बिखिआ लोभाणे सेवा करहि विडाणी ॥ । पर मेरे वरगे मूरख अंम्रित छड दुनिआवी पदारथ मंगी जांदे ने ।


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