Source: ਗਿਆਨ (Gyan)
गिआन खड़ग उह स़सतर है जो कोई खोह नहीं सकदा। इह स़सतर हर जंग जित सकदा है ।
तसकर पंच सबदि संघारे ॥
गिआन खड़गु लै मन सिउ लूझै मनसा मनहि समाई हे ॥३॥
हरि हरि नामु जिनी आराधिआ तिन के दुख पाप निवारे ॥ सतिगुरि गिआन खड़गु हथि दीना जमकंकर मारि बिदारे ॥
गिआन खड़गु करि किरपा दीना दूत मारे करि धाई हे ॥९॥
गिआन खड़ग पंच दूत संघारे गुरमति जागै सोइ ॥
सुणिऐ सतु संतोखु गिआनु ॥
गिआन महारसु भोगवै बाहुड़ि भूख न होइ ॥
गुर गिआनु प्रचंडु बलाइआ अगिआनु अंधेरा जाइ ॥२॥
गिआन विहूणी पिर मुतीआ पिरमु न पाइआ जाइ ॥ अगिआन मती अंधेरु है बिनु पिर देखे भुख न जाइ ॥
मनि मुखि सूचे जाणीअहि गुरमुखि जिना गिआनु ॥४॥
गिआन पदारथु पाईऐ ति्रभवण सोझी होइ ॥
गिआन पदारथु खोइआ ठगिआ मुठा जाइ ॥१॥
गुर बिनु गिआनु न पाईऐ बिखिआ दूजा सादु ॥
प्रणवति नानक गिआनी कैसा होइ ॥
आपु पछाणै बूझै सोइ ॥
गुर परसादि करे बीचारु ॥
सो गिआनी दरगह परवाणु ॥४॥३०॥
जिउ अंधेरै दीपकु बालीऐ तिउ गुर गिआनि अगिआनु तजाइ ॥२॥
गिआनीआ का धनु नामु है सहजि करहि वापारु ॥
गिआनीआ का धनु नामु है सद ही रहै समाइ ॥
गिआनी गिआनु कमावहि ॥
साधिक सिध धिआवहि धिआनी ॥
जिन कउ आपि दइआलु होइ तिन उपजै मनि गिआनु ॥
भाई रे गुर बिनु गिआनु न होइ ॥
उपजै सहजु गिआन मति जागै ॥
गुर गिआन अंजनु सचु नेत्री पाइआ॥
अंतरि चानणु अगिआनु अंधेरु गवाइआ ॥
आपु बीचारे सु गिआनी होई ॥१॥ रहाउ ॥
मनमुखि सूता माइआ मोहि पिआरि ॥
गुरमुखि जागे गुण गिआन बीचारि ॥
आठ पहर आराधीऐ पूरन सतिगुर गिआनु ॥१॥ रहाउ ॥
गिआनी बूझहि सहजि सुभाए ॥५॥
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