Source: ਮਨੁੱਖ ਕੀ ਟੇਕ ਸਭ ਬਿਰਥੀ ਜਾਣ
मनुख की टेक सभ बिरथी जाण ।।
देवण को एको भगवान ।।
जिस के दीए रहे अगाए ।।
बहुड़ ना तिरसनां लागै आए।।
नाल़ असी फोटो नू वी धूफ बती देहधारीआ पूजी जाने आ असी ते सारा कुछ इ उलट कर रहे आ, मनुख की टेक सभ बिरथी जाण, देवण को एको भगवान ।।
बंदे दी टेक रखणी ते उलट ए गुरमत च, देण वाला ते १ इ आ ओह भगवान जो साडे अंदर साडि अंतर आतमा ए, पर असी बाहर भगवान पता इ न्ही किने कु बणा रखे ने , पता इ न्ही,
गुरू सदाए अगिआनी अंधा किसु ओहु मारगि पाए ॥३॥ ἢ ओह ते अंना केह रहे ने ?? जो कोई गुरू बण के बैठदा वी ए ओह अंना ए, जो हैगा इ अंना ओह किसे नू राह किथो पा दिउ, ओह ते केह रहे ने नरक कुंड च रहु जनम मरन च रहु ओस नू मुकती न्ही जो मैनू प्रमेसर आखे गा,
जो हम को परमेसर उचरि हैं ॥ ते सभ नरकि कुंड महि परिहैं ॥
ओह ते केह रहे ने, एथे ही ओह जनम मरन च रहु, जो सानू प्रमेसर केह के बुलाउ गा, फिर ते असी उलट कंम कर रहे आ, जिस कंम तौ सानू रोकिआ सी, असी ओहि करी जाने आ, ओह ते अवदे आप दास मंन रहे ने, मो कौ दास तवन का जानो, पर एह वी केह गे, जिस प्रमेसर नू मै ? जाणिआ ए ? ओह मेरे संग ए, गुर मेरा संग सदा है नाले, ओह नाल़ ए सभ दे, जे कोई ओस नू जाण लवे, ता जानण वाले जनु च, ते ओस पार ब्रहम प्रमेसर च इक रती जिना वी भेद न्ही रेहदा, जे कोई ओस दा दास बण जावे,
बिनु करतार न किरतम मानो ।।
आदि अजूनि अजै अभिनासी तिह प्रमेसर जानो । १।
१० पातसाह सानू दस कि गए ने ओस पारब्रहम प्रमेसर नू ही किरतम ( स्रिसटि दी सिरजणा करन वाला ) मंनीओ ? ओह आदि अजून ए भाव कोइ बंदा नही ? जिस आदि स़कती ने पंज तत दी किरतम कीती ओह है करतार अभिनासी जिस दा कदी नास नही हुंदा ओह अजै है गुसे जा पयार नाल जितिआ नही जा सकदा अज तक कोइ ओस दी गेहराई नू फ़तहि नही कर सकिआ किसे वी देहधारी बंदे तौ अज तक ओस दा अंत नही पाईआ गिआ
ओस नू प्रमेसर कर कि जानणा असी ने ।
मः ५
विणु तुधु होरु जि मंगणा सिरि दुखा कै दुख ॥ देहि नामु संतोखीआ उतरै मन की भुख ॥ गुरि वणु तिणु हरिआ कीतिआ नानक किआ मनुख ॥
प्रमेसर तौ (दीजै बुधि विवेका) मगण तौ बिन जे कुछ मंगणा ए,, ओह दुखा के दुख लिखिआ होइआ ,,,हर रोज असी ते फिर गुरबाणी तौ उलट मंगदे आ,, जो कुछ मंगदे अ, ओस नू ते दुख किहा ए, जे प्रमेसर तौ बिना कुछ मंगदे आ, विणु तुधु होरु जि मंगणा सिरि दुखा कै दुख ॥ जो असी पदारथ मंगदे अ, माईआ दे ओह दूख केह रहे ने फिर ? फिर ते असी १०१% उलट आ गुरबाणी च ते ओथे देहि नामु लिखिआ होइआ, देहि नामु संतोखीआ उतरै मन की भुख ॥, फिर साडि भुख च ते, दूख ए, इहदा मतलब हर रोज दूख इ ,,मंग रहे अ, नानक के घर केवल नाम, ओह ते केह रहे साडे घर ते नाम ए, गुरबाणी दा, गुरबाणी मे हरि नाम समाईआ होइआ लै जो जिना मरजी ओह ते फिर कोई न्ही मंग रिहा, असी ते गुरबाणी दे उलट कर रहे मनो कामना दीआ अरदासा करि जाने आ, असी ता, गुरि वणु तिणु हरिआ कीतिआ नानक किआ मनुख ॥ पारब्रहम प्रमेसर ते ओह ए जिस आ बनसपती रुख घाह नू हरिआ भरिआ रख रिहा असल गुरू ते ओहि, नानक किआ ए मनुख कुछ वी नी ?? मनुख ते ओस साहमणे कुछ वी न्ही ए जो सारी स्रिस्रटी नू चला रिहा
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