Source: ਸਤਸੰਗਤਿ (Sat Sangat) ਅਤੇ ਨਾਮ (NAAM)

सतसंगति (Sat Sangat) अते नाम (NAAM)

ना असीं नाम नूं पछाणदे हां, नां सतगुर नूं, ना सतसंगति ते ना ही हुकम नूं । सुर, नर, मुनी जन सब खोजदे पए ने । नानक पातस़ाह सरी राग विच दसदे हन ।

सुरि नर मुनि जन लोचदे सो सतिगुरि दीआ बुझाइ जीउ ॥४॥ सतसंगति कैसी जाणीऐ । जिथै एको नामु वखाणीऐ ॥ एको नामु हुकमु है नानक सतिगुरि दीआ बुझाइ जीउ ॥५॥ इहु जगतु भरमि भुलाइआ ॥ आपहु तुधु खुआइआ ॥

गुर पिता परमेस़र नूं, अकाल पुरख नूं ही सतिगुर मंनदे ने "मन मेरे सतिगुर कै भाणै चलु ॥

प्रभू हरी/अकाल पुरख दा भाणा ही ॳसदा हुकम अते उसदा नाम है । उसदा हुकम ही सच है बाकी सब भरम है कूड़ है। उसदे हुकम नूं गुर प्रसाद मन के ग्रहण करना उस परम पिता परमेस़र दे हुकम अते सच ते खड़ना ही सतसंगति है । परमेसर दे नाम अते सच दी संगति ही सची संगत है । नानक पातस़ाह कहिंदे ने इह दात मैनूं परमेस़र ने दिती है । मन इसनूं नहीं मंनदा ते भटकदा है ।

 सतसंगति महि नामु हरि उपजै जा सतिगुरु मिलै सुभाए ॥ मनु तनु अरपी आपु गवाई चला सतिगुर भाए ॥

जद मन बुथ अते आतम राम (आतमा) इक सोच हो जांदी है ते फिर ब्रहम गिआन उगदा है

सलोकु म १ ॥

सचि कालु कूड़ु वरतिआ कलि कालख बेताल ॥

बीउ बीजि पति लै गए अब किउ उगवै दालि ॥

जे इकु होइ त उगवै रुती हू रुति होइ ॥

नानक पाहै बाहरा कोरै रंगु न सोइ ॥

भै विचि खुंबि चड़ाईऐ सरमु पाहु तनि होइ ॥

नानक भगती जे रपै कूड़ै सोइ न कोइ ॥१॥

गुरू पातस़ा फरमांदे ने स़रीर नूं कस़ट दे के तप कर के वी हउमे नही जाणी ते परमेसर दी प्रापती नहीं होणी। जीवत मरना पैणा मतलब आपणी मत तियाग के परमेसर दा भाणा मनणा पैणां उस परमपिता परमेसर दे हुकम ते चलना पैणा जे मुकत पदारथ दी आस है

सिरीरागु महला ३ ॥

कांइआ साधै उरध तपु करै विचहु हउमै न जाइ ॥ अधिआतम करम जे करे नामु न कब ही पाइ ॥ गुर कै सबदि जीवतु मरै हरि नामु वसै मनि आइ ॥१॥

मनु दीजै गुर आपणे पाईऐ सरब पिआरु ॥

मुकति पदारथु पाईऐ अवगण मेटणहारु ॥१॥

(मुकति पदारथु – चार पदारथु विचो इक पदारथ है जिहना बारे गुरबाणी विच दसिआ है "चारि पदारथ जे को मागै ॥)


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